न चूड़ियों की खनखन होगी
न पायलों की छनछन होगी
तुम जो छोड़ जाओगी घर को
न बालियों की चमचम होगी !
दरवाजा चरमराकर रह जायेगा
दरो-दीवारों की रंगत उतर जायेगी
रात चाँद खिड़की पर क्यों आएगा
रात भर घर में रौशनी न होगी
न सहर में फूलों पर शबनम होगी !
तुम जो छोड़ जाओगी घर को.......
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