मुझे बहुत रुलाओगे तुम !!!

आज दूर ही सही ,कभी मेरे पास आओगे तुम
बहुत करीब से अक्स अपना मुझे दिखाओगे तुम ।
सुबह से शाम तक मेरी आँखों में देखोगे तुम
देखते -देखते इन्ही आँखों में खो जाओगे तुम ।
 कभी रात की ठण्ड जब बहुत सताएगी तुम्हे
नींद में ही सही पर मुझसे  लिपट जाओगे तुम ।
ख्यालों में चलते चलते जब थक जाओगे तुम
मेरी बाहों में खुद को सुलाकर सुस्ताओगे  तुम ।
फिर जिन्दगी के किसी मोड़ पर बिछड़ जाओगे तुम
तड़पोगे मेरी याद में ,मुझे बहुत रुलाओगे तुम ।




मुह़ब्बत दिन पर दिन बढ़ती जाएगी !!!

तुम्हे अपनी खूबसूरती पर घमंड है ,
मुझे अपनी मुह़ब्बत पर नाज  है ।
तुम्हारी खूबसूरती दिन पर दिन ढलती जाएगी ,
पर मेरी मुह़ब्बत दिन पर दिन बढ़ती जाएगी ।

आस में चलते रहो !!!

बहती लहरों  के संग संग ,तुम भी चलते रहो
मिल जायेगा किनारा कोई ,इस आस में चलते रहो ।
ये रात काली आई है ,घबरा न जाना देख कर
सुबह जिन्दगी रोशन  होगी,इस आस में चलते रहो ।
क्या हुआ जो रेत है ,और आसमां से आग बरसे
उम्मीदों का सागर दूर नही,इस आस में चलते रहो ।
सफ़र आधा ही हुआ है और चला गया वो छोड़कर
मिल जायेगा कोई हमसफ़र, इस आस में चलते रहो ।
ये ख्वाहिशों का सफ़र है , मुश्किले तमाम आएगी
 कल बन जाएँगी हकीकत ये,इस आस में चलते रहो ।










हर हुस्न में तुम्हे ही निखरते देखा है !!!

जब से तुम्हे अपने बाग में टहलते देखा है ।
हर फूल  में बस तुम्हे ही महकते देखा है ।
बातों-बातों में ऐसा क्या कह गयी तुम
हर लब्ज में बस तुम्हे ही संवरते देखा है ।
जिसको भी देखा सब बदले -बदले से लगे
हर दिल में बस तुम्हे ही धड़कते देखा है ।
 सूरज हो ,चाँद हो ,या जलता कोई दिया
हर उजाले में बस तुम्हे ही चमकते देखा है ।
किस-किस की तारीफ़ करूं,सब हसीं है,क्योकि
हर हुस्न में बस तुम्हे ही निखरते देखा है ।