हाँ, तुम्हे देखा है हमने Happy !!!


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महकती रात के आंचल से पिघलती चांदनी 

जब जर्रे जर्रे में समा कर सिमटने लगी हो 
दूर कहीं बादलों, नदियों, पहाड़ों के पीछे
सुनहला सूरज जब अगड़ाईंयां लेने लगा हो 
पहर जब महताब की मखमली चांदनी 
आफ़ताब की किरणों से मिलने लगी हो 
वो नूर भोर का कभी देखा है किसी ने...
हां, देखा है तुम्हारे चेहरे पर वही नूर हमने !
घने कोहरे से ढकी कोई भीगी रात जब 
सुबह होते ही अपनी चादर समेटने लगे 
किसी पेड़ के पत्ते से इक बूंद शबनम की 
फिसलती हुई किसी कली पर गिर जाए 
गिर के छिटक जाए,हर तरफ बिखर जाए 
उस बिखरती बूंद से बरसती मुहब्बत में
एक कली को फूल बनते देखा है किसी ने
हाँ, देखा है तुम्हे ऐसे ही खिलता हुआ हमने !

अधूरा इश्क !!!


अधूरे इश्क के बाद बचा उजाड़ जिस्म
दर्द, उदासी और तन्हाई की पैरहन पहने
अब ख़ामोश रहने लगा है, बहुत खामोश
जैसे बसंत आने का ख्वाब आंखों में लिए 
कोई पेड़ अपनी आखिरी सांस तक 
जिस्म पर दो-तीन सूखी पत्तियां पहने 
चुपचाप खड़ा रहता है इक उम्मीद में... 
लेकिन बसंत आने में अभी बहुत देर है ! 
रूह अक्सर शिकायत करती है जिस्म से
थककर बूढ़े और कमजोर हो गए हो तुम 
ये रूह अब नया जिस्म पहनना चाहती है 
मगर जिस्म है कि फिर भी जिये जा रहा है
जैसे सूखे और अकाल से पीड़ित इलाके में 
प्यास से तड़पता हुआ कोई पंछी 
रोज चक्कर लगाता है सूखे तालाब का...
मगर वहां पानी की इक बूंद भी नहीं है !
जिस्म भी पंछी हो गया है, पेड़ हो गया है 
खड़ा है उम्मीद का एक सिरा पकड़े हुए 
आस में, उम्मीद में, इंतजार में, इश्क 
बसंत लाएगा,बरसात लाएगा,जवानी लायेगा !

हाँ, लौटना कठिन होता है !!!


दिन ,माह, बरस बीत गए 
तुम लौट कर नहीं आये 
हाँ, लौटना कठिन होता है !
कितने दिनों से उदास चांदनी
खिड़की से अंदर झांकती है 
तुम्हे खोजती है, नहीं पाती है 
चुपचाप लौट जाती है 
हाँ, लौटना कठिन होता है !!
कुछ ख्वाब दिल में उतरते हैं
हर शाम बस यूँ ही अकस्मात्
तुम्हारे साथ जीने की तमन्ना लिये
तुम्हे ढूंढते हैं हर कोने में 
मगर निराश होना पड़ता है उन्हें
घुप्प अँधेरे में चुपचाप लौट जाते हैं वे
हाँ , लौटना कठिन होता है !!!
कभी कुछ कदम बढ़ाता हूँ मैं भी 
तुम्हारे ही पद-चिन्हों पर 
तुम तक पहुँचने की चाह लिए 
मगर ये चिन्ह साथ कहाँ देते हैं 
दसों दिशाओं ने मिटा दिए हैं तुम्हारे निशां
मुझे विवश करती है ये प्रकृति लौट जाने को 
और एक दिन मैं लौट आता हूँ 
हाँ, लौटना कठिन होता है !!!