अँधेरे की बाहों में मिलो कभी !!!

जहाँ हमें कोई जानता न हो उस गुमनाम रास्ते पर मिलो कभी 
 बीते दिन बीती यादें भूलकर कुछ कदम मेरे साथ चलो कभी |
रूबरू होगी एक नयी जिंदगी , हंसी के कहकहे फिर से गूजेंगे 
चमकते सितारों से भरे आसमान की सेज पर चाँद सा मिलो कभी ।
 बहारों का क्या है देख लेना वो भी चली आएँगी पीछे तुम्हारे
 किसी रंग बिरंगी शाम में फूलों से भरे बगीचे में मिलो कभी ।
 वक़्त भी जी उठेगा तुम्हारी जिंदगी के फ़साने में इतनी खुशियाँ होंगी 
 वक़्त की नजरों से दूर, घनघोर अँधेरे की बाहों में मिलो कभी ।