तेरे आँचल का साया था !!!

यह बादलों की बदरी थी या फिर तेरे आँचल का साया था
आसमान में सूरज था और ,मेरे मन में अँधेरा छाया था ।
बादल गरजा ,बिजली चमकी ,फिर आवाज तेरी आयी थी
तोड़ कर सारे रिश्ते -नाते  मै , सीधा तेरे दर को आया था ।
आँगन में जुल्फें बिखराए बैठी थी तुम,इन्तजार में मेरे शायद
तभी अचानक आई थी बारिश ,हम  दोनों को नहलाया था।
भूल कर सारे रिश्ते -नाते ,फिर घर से निकल पड़े थे  दोनों
हर कठिनाई में तुमने मुझको ,मैंने तेरा दामन अपनाया था ।
फिर जाने किसका साथ मिला ,छोड़ गयी तुम मुझको पीछे
इस दुनिया की रीति यही है ,मुझे बड़ी देर समझ में आया था ।
by - OP