बंधन, जो जाने नही देता !!!

थक सी गयी है अब वह ,
कच्चे रिश्ते निभाते- निभाते 
बहुत परेशान हो गयी है वह 
इन रिश्तों के बोझ तले दबकर
नही चाहती है अब वह 
और किसी का साथ
नही चाहती है अब वह 
पकड़ कर चलने को किसी का हाथ 
वह आजाद उड़ना चाहती है 
अपने पंखों के सहारे 
इन मदमस्त हवाओं के साथ,
नीले नीले बादलों के बीच,
लेकिन जैसे ही वह अपने कदम आगे बढाती है 
उसे याद आ जाता है 
वो सुन्दर हँसता हुआ चेहरा 
वो उसके बाहों की नरमी 
उसके साँसों की गर्मी 
जिनमे वह अक्सर ही डूब जाया करती थी |
इन्ही यादों के संग जन्म लेती है एक तीव्र इच्छा 
कि जाने से पहले देख लूँ उसे बस एक बार
बस "अंतिम  बार" इसके बाद कभी नहीं 
और उसे देखने के बाद वह कहीं जा नही पाती 
उसकी यही चाहत उसे रोक लेती है 
और उसका "अंतिम बार" कभी नही आता |

फिर भी वे दोनों एक साथ हैं !!!

वे लड़ते हैं, झगड़ते हैं, एक दूसरे पर इल्जाम लगाते हैं और कहते हैं कि अब हम कभी बात नही करेंगे | और एक हफ्ते तक सच में दोनों बात नहीं करते हैं लेकिन आठवें दिन, आधी रात को वह खुद को रोक नही पाती और उसे मैसेज कर देती है “क्या हुआ ? क्या सच में मुझसे बात नहीं करना चाहते” | वह जवाब में कहता है “सो जाओ, रात बहुत हो गयी है” | बस फिर क्या ? एक बार फिर दोनों के बीच महाभारत शुरू हो जाती है | दोनों फिर से लड़ते हैं, झगड़ते हैं, एक दूसरे पर इल्जाम लगाते हैं और लड़ते लड़ते सो जाते हैं |

वह जब बीमार हो जाती है तो उसकी सेवा में वह अपने दिन रात एक कर देता है | दोनों एक दूसरे को बड़े ही प्यार से मिलते हैं, बातें करते हैं | लेकिन ठीक होने पर वह उसे थैंक्स भी नही बोलती | बस दोनों सामान्य बातें करते हैं, एक दूसरे से हंसी मजाक करते हैं और फिर ना लड़ने का वादा करते हैं | लेकिन इस रिश्ते में यह वादा हर बार टूट जाता है | एक दिन वह कहता है कि वह उससे ज्यादा बात नहीं करती | बस फिर क्या ? फिर से दोनों लड़ते हैं, झगड़ते हैं, एक दूसरे पर इल्जाम लगाते हैं और कहते हैं कि अब हम कभी बात नही करेंगे |  

यह कैसा रिश्ता है जहाँ झगड़ते हुए भी दोनों एक दूसरे को छोड़ना नही चाहते ? क्या यह प्यार है ? क्या यह दोस्ती है ? क्या दोनों दुश्मन हैं ? खैर, इस रिश्ते का कोई नाम हो या ना हो लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि वह दोनों आज भी एक दूसरे के साथ हैं | शायद वह जानते हैं कि इस गुमनाम रिश्ते के बिना वह दोनों ही अधूरे हैं |