आहट आती रही रात भर !!!

कहने को यूँ तो सर्द बहारें मुझसे रूठी रहीं रात भर |


फिजाओं में भीनी भीनी सी खुशबू छाई रही रात भर |

कमबख्त बारिशों ने आसमां को खुलने ही ना दिया

पागल निगाहें बादलों में चाँद को ढूंढती रही रात भर |

चाहता था कि मै भी अंधेरो में बैठूं जरा कुछ देर

मशालें उनके मकान की मगर जलती रही रात भर |

उसके अहसास तो घर के कोने-कोने में बिखरे पड़े थे

मेरी गोद में उसकी यादें बेखबर सोती रही रात भर |

कहके गयी थी कि मुड़ कर इधर कभी ना देखूंगी

फिर वो कौन थी जिसकी आहट आती रही रात भर | 

डगर !!!

कोई रास्ता ढूंढ लो जहाँ प्यार की कदर हो
इज्जत मिले, कुछ बात बने |
जिस पर तुम चल रहे हो, वहां प्यार बिकता है |
ऐसे रास्ते, ऐसी पगडंडियां, ऐसे नज़ारे
मोह हैं, भ्रम हैं, गुमराही का सबब है |


उम्मीद !!!

उसने खोया है बहुत, पाया कुछ भी नही है |
वो हारा है बहुत, जीता कुछ भी नही है |
बस एक उम्मीद है, विश्वास है 
और एक दीप है जलता हुआ 
इसके सिवा उसके पास, रहा कुछ भी नही है | 

इन्तजार !

हर लम्हा उसका ही इन्तजार
मुझे तड़पाता रहता है |
निगाहें कभी इधर तो कभी उधर
उसकी ही तलाश करती है |
रात होते ही मेरे दिल में
उसका साया बनने लगता है
ऐसा लगता है जैसे वह
मुस्कुराते हुए मेरे पास आती है |
और मुझसे पूछती है
तुम्हे मेरा ही इन्तजार था ना ?
 मै उससे कुछ कह नही पाता
ऐसा लगता है जैसे
मेरे ओंठ सिल गये हों
मेरी रूह बर्फ सी जम गयी हो
मै एक दीवाने की तरह
बस उसे एकटक देखता रहता हूँ
और वह शरमा जाती है |
शरमाते हुए वह पूछती है
क्या मै इतनी खूबसूरत हूँ ?
मै आँख बंद कर लेता हूँ
और उससे कहता हूँ “ हाँ “
तुम बहुत खूबसूरत हो |
तुम्हारी आँखे में डूबने को जी करता है |
तुम्हारी बाहों में झूमने को जी करता है |
तुम्हारे ओंठ चूमने को जी करता है |
यह कहकर मै हौले हौले
अपनी आँखें खोलता हूँ
और वह मुझे नही दिखाई देती |
कहीं भी नही |
एक बार फिर ये निगाहें
उसे तलाश करने लगती है |
लेकिन वह कहीं नही दिखती
कहीं भी नही |

ख्वाब बड़ा हो गया !!!


रात के आते ही मेरे मन में
अंकुरित हुआ एक ख्वाब
चाँद की रोशनी में नहाकर
ढलती रात के संग संग
वह जवां होने लगा |
ठंडी हवाओं ने उसे बहकाया
लेकिन वो बहका नही |
जब चाँद बादलों में छुपा
तो अंधेरों ने उसे रोका
लेकिन वो रुका नही |
रात के वीराने में
गहरी खामोशियों ने उसे डराया
लेकिन वो डरा नही |
                           रात के तीसरे पहर                          
कुछ आवाजों ने उसे बुलाया
लेकिन उसने सुना नही
अपने लक्ष्य को देखता
वह बस चलता रहा |
अंततः सुबह जाग गयी
रात कहीं उजालों में खो गयी
खामोशियाँ आवाज लेने लगीं
हवाएं शीतल हो गयी
आखिरकार नर्म किरणों ने उसे छुआ
और वह ख्वाब बड़ा हो गया |  


मंजिलें और भी हैं !!!

                           ख्वाब नये हैं, ख्वाहिशें और भी हैं |
                          रास्ते और भी हैं, मंजिलें और भी हैं |
                          तुम हमें भूल जाओ हम तुम्हें भूल जायेंगे  
                          मेरे पास याद करने को बातें और भी हैं |
                          तेरे दर से गए, लौट कर ना आयेंगे हम
                          इस शहर में मेरे ठिकाने और भी हैं |
                          यूँ तो तुम थी एक खूबसूरत हसीना
                          इस जहाँ में मुझे चाहने वाले और भी हैं |
                         पलकें ना भीगेंगी तेरी याद में फिर कभी
                         मेरे पास आंसू बहाने के बहाने और भी है |
                         मत समझना कि तुम मेरी जिन्दगी थी
                         यहाँ रास्ते और भी हैं , मंजिलें और भी हैं |