ख्वाब बड़ा हो गया !!!


रात के आते ही मेरे मन में
अंकुरित हुआ एक ख्वाब
चाँद की रोशनी में नहाकर
ढलती रात के संग संग
वह जवां होने लगा |
ठंडी हवाओं ने उसे बहकाया
लेकिन वो बहका नही |
जब चाँद बादलों में छुपा
तो अंधेरों ने उसे रोका
लेकिन वो रुका नही |
रात के वीराने में
गहरी खामोशियों ने उसे डराया
लेकिन वो डरा नही |
                           रात के तीसरे पहर                          
कुछ आवाजों ने उसे बुलाया
लेकिन उसने सुना नही
अपने लक्ष्य को देखता
वह बस चलता रहा |
अंततः सुबह जाग गयी
रात कहीं उजालों में खो गयी
खामोशियाँ आवाज लेने लगीं
हवाएं शीतल हो गयी
आखिरकार नर्म किरणों ने उसे छुआ
और वह ख्वाब बड़ा हो गया |  


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