चांदनी को घर से बाहर देता हूँ !!!

 चांदनी को घर से बाहर  देता हूँ ।
जब तुझे आते हुए देख लेता हूँ ।
बहुत लम्बी हो जाती है मेरी वह रात 
जब चाँद के साए में तुझे देख लेता हूँ ।
मन करता है यू ही बरसता रहे ये बादल 
जब वर्षा में तुझे भीगते हुए देख लेता हूँ।
अजीब सी कसमकस  होने लगती है मुझमे 
जब बहुत करीब से कभी तुझे देख लेता हूँ ।
 वो शाम मेरी बेरंगीन शाम शाम बन जाती है 
जिस शाम तुझे किसी और के साथ देख लेता हूँ ।


कहीं होने न लगे बारिश !!!

डरता हूँ तुम्हारे आसमां से जमीन पर आने से
कही ख़तम न हो जाये अँधेरा मेरे गरीबखाने से।
डर लगता है जब खड़ी  होती हो आईने के सामने
कहीं  कोई चोर चुरा न ले तस्वीर  तेरी आईने  से।
निकला न करो यूँ  इन अँधेरी रातों में संवरकर
कही हो न जाये सवेरा तेरे रूप के खजाने से ।
छुपा लो चाँद से चेहरे को अपनी रेशमी जुल्फों से
कहीं हो न जाये खता मुझसे ,तुम्हारे पास आने से ।
न हसों इतनी तेज की आवाज पहुँच जाये बादलों तक
कहीं होने न लगे बारिश, तेरे यूँ  मुस्कराने से  ।


मेरे सपनो में आओ !!!

ये हमसे दूर जाने वाले कभी तो मिलने आओ
 दिन में न सही रात  को मेरे सपनो में आओ ।
आज मौसम खफ़ा  है ,मन भी खाली -खाली  सा है 
ख़ुशी  से न सही , उदासी  से भरने तो आओ ।
देखो वर्षा भी आ गयी हवा भी मेरे साथ है 
एक बार बारिश में मेरे साथ भीगने तो आओ ।
उजड़ गए हैं  हमारे लगाये प्यार के बगीचे 
कम से कम इन्हें अपने हाथों से सजाने तो आओ ।

यादों का बसेरा !!

अपने नन्हे से दिल में एक घोसला बनाया हमने
आपकी  यादो का  बसेरा  उसे  बनाया  हमने ।
छोटे से मन में जाने क्या-क्या  अरमान जगाया  तुमने
उन्ही अरमानो को अपने जीने का मकसद बनाया हमने ।
 दिन और रात  कितने ही  पल मेरे साथ बिताया तुमने 
 प्यार से हर लम्हे को इस  दिल में  बसाया  हमने ।
प्यार क्या होता है यह  भी तो मुझे बताया तुमने
दुनिया को  छोड़ आपको  सीने से लगाया हमने ।
उड़ने पर वापस  आने का झूठा ख्वाब दिखाया तुमने 
 इन्तजार में घोसले को और भी तहजीब से सजाया हमने ।