ये मेरी जिन्दगी है !!!


ये मेरी जिन्दगी है मै जैसा चाहूंगी / चाहूँगा वैसे जिऊँगी / जिऊंगा | आज कल अक्सर ये शब्द सुनने को मिल ही जाता है | अभी चंद दिन पहले मै दोस्तों के साथ लंच करने एक होटल गया हुआ था | वहीँ मुझसे थोड़ी दूर पर बैठी एक लड़की अपने सामने बैठे लड़के से यही कह रही थी | और बेचारा वह लड़का............. रो रहा था | दिखने में तो २२ -२३ साल लग रहा था लेकिन रो रहा था बच्चों की तरह | उस घटना ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया |
क्या सच में हमारी जिन्दगी बस हमारी जिन्दगी ही होती है ? क्या सच में हमें दूसरों की जिन्दगी से कोई वास्ता नही रखना चाहिए ? क्या कुछ भी करते या कहते समय हमें नही सोचना ही नही चाहिए कि जो हम करने या कहने जा रहे है उससे किसी की जिन्दगी पर क्या असर पड़ता है ?
आखिर क्यों ? क्या हम सब इतने खुद – गर्ज हो गए हैं | आज हम सब जिन्दगी के किस मोड़ पर आकर खड़े हो गए हैं | आज अगर पापा कहते है कि बेटा वह लड़की तुम्हारे लिए ठीक नही है तुम उसके साथ ज्यादा मत रहा करो | तो लड़का जवाब देता है यह मेरी जिन्दगी है और मुझे अच्छी तरह मालूम है मेरे लिए क्या ठीक है और क्या नही | लड़कियां भी इस आज रेस में पीछे नही है | पापा कितना भी कहें कि बेटा घर थोडा जल्दी आ जाया करो | यूँ रात के १२ बजे तक बाहर घूमना ठीक नही है | तो लड़की कहती है पापा मै अब बड़ी हो गयी हूँ | मुझे पता है मुझे घर कब आना है और कब जाना है |
अब बेचारे पापा क्या कर सकते हैं | उनकी ही औलाद ने जब उन्हें अपनी जिनगी से बेदखल कर दिया हो |
लेकिन अगर सच कहूँ तो यह किसी के पापा की चिंता नही है कि उनके बेटे ने आज उनसे क्या कहा | वह तो सब माफ़ कर देते है और कुछ दिन बाद भूल भी जाते है |
यह चिंता तो हम नवयुवकों के लिए है | आज हम कितने स्वार्थी हो गए है | सिर्फ अपनी ख़ुशी के लिए हम अपनी जिन्दगी से कभी भी किसी को भी अलग कर देते हैं | बिना यह सोचे कि इससे उसकी जिन्दगी पर क्या प्रभाव होगा |
हम पहले तो ऐसे नही थे | हम क्यों इतना बदल गए | क्या हमारे अंदर की भावनाएं मर गयी हैं या हमारी सोचने की क्षमता क्षीण हो गयी है | हम खुद पर इतना यकीन कैसे कर सकते हैं कि हम बिना अपनों के भी जी सकते है |
माना कि जमाना तेजी से बदल रहा है लेकिन प्लीज बदलते ज़माने के साथ इतना भी मत बदल जाओ कि एक दिन तुम्हे कोई पहचानने से भी इनकार कर दे | खुद पर भरोषा करना अच्छी बात है लेकिन इस भरोशे को दूसरों के साथ बाटों | कुछ ऐसा करो कि तुम्हारे सिवा दूसरे भी तुम पर भरोषा करें | जो तुम्हारे पास आना चाहते है उन्हें खुद से दूर मत भगाओ | दुनिया पहले ही बहुत अकेली हो चुकी है इसे अब और अकेला मत बनाओ | खासकर पूर्वजों की उम्मीद , आज की दुनिया के नायक , कल के भविष्य हमारे नवयुवक तुम तो इस बात को जरूर समझ जाओ |

कभी आओ !!!

कभी आओ , सारे बंधन , सारे रिश्ते तोड़ कर आओ |
इधर उधर तुम क्यों देखो , मै यहाँ हूँ , वहां कहाँ
अगर भटक गयी हो , मुझे भूल गयी हो तो
खुद से पूछो , रास्तो से पूछो , बीते दिनों से पूछो
मुझे , मेरे बारे में , तुमसे रिश्ता क्या है मेरा
वो ना बताएं ना सही , तुम तो याद करो जब
कुछ टूटे-फूटे लब्ज , कुछ आंसू ,और एक वादा
मेरी अमानत ,जो तुमने दी थी मुझे, जाते वक़्त
कभी कुछ याद आ जाए तो आओ , मेरे पास आओ |
सारे बंधन , सारे रिश्ते सब कुछ तोड़ कर आओ |