वे लड़ते हैं, झगड़ते हैं, एक दूसरे पर इल्जाम लगाते हैं और
कहते हैं कि अब हम कभी बात नही करेंगे | और एक हफ्ते तक सच में दोनों बात नहीं करते
हैं लेकिन आठवें दिन, आधी रात को वह खुद को रोक नही पाती और उसे मैसेज कर देती है “क्या
हुआ ? क्या सच में मुझसे बात नहीं करना चाहते” | वह जवाब में कहता है “सो जाओ, रात
बहुत हो गयी है” | बस फिर क्या ? एक बार फिर दोनों के बीच महाभारत शुरू हो जाती है
| दोनों फिर से लड़ते हैं, झगड़ते हैं, एक दूसरे पर इल्जाम लगाते हैं और लड़ते लड़ते
सो जाते हैं |
वह जब बीमार हो जाती है तो उसकी सेवा में वह अपने दिन रात
एक कर देता है | दोनों एक दूसरे को बड़े ही प्यार से मिलते हैं, बातें करते हैं | लेकिन
ठीक होने पर वह उसे थैंक्स भी नही बोलती | बस दोनों सामान्य बातें करते हैं, एक
दूसरे से हंसी मजाक करते हैं और फिर ना लड़ने का वादा करते हैं | लेकिन इस रिश्ते
में यह वादा हर बार टूट जाता है | एक दिन वह कहता है कि वह उससे ज्यादा बात नहीं
करती | बस फिर क्या ? फिर से दोनों लड़ते हैं, झगड़ते हैं, एक दूसरे पर इल्जाम लगाते
हैं और कहते हैं कि अब हम कभी बात नही करेंगे |
यह कैसा रिश्ता है जहाँ झगड़ते हुए भी दोनों एक दूसरे को
छोड़ना नही चाहते ? क्या यह प्यार है ? क्या यह दोस्ती है ? क्या दोनों दुश्मन हैं
? खैर, इस रिश्ते का कोई नाम हो या ना हो लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि वह दोनों आज
भी एक दूसरे के साथ हैं | शायद वह जानते हैं कि इस गुमनाम रिश्ते के बिना वह दोनों
ही अधूरे हैं |
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