अब लौट भी आओ कि तेरे
बगैर किसी सपने को सजने ना दूँ |
अपनी किस्मत के पन्नों
पर तुम्हे लिख दूं, फिर मिटने ना दूँ |
जो हो गया अब उसका
क्या, वो किस्मत न तेरी थी न मेरी थी
तू हो जा रेत, तुझे
मुठ्ठी में भर लूँ, इस बार फिसलने ना दूं |
आजाद ख़याल को वो पंछी,
जो उड़ा करता था बड़ी दूर तक
तू भी उड़ आजाद ख्यालों
में, तेरी ऊँचाइयों से तुझे गिरने न दूँ |
और, वो चिराग फिर से
जल उठेगा, जो आंधी ने धोखे से बुझाए थे
मैं दीपक की लौ में
तुझे निहारूं, दुनिया को तेरी तरफ तकने ना दूँ |
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