मोहब्बत कीजिए ! बेइंतहा मोहब्बत कीजिए ! खुले आसमान में उड़ते उन्मुक्त पंछियों की तरह आजाद मोहब्बत कीजिए ! साहिल से बार बार टकराती लहरों की तरह जोरदार मोहब्बत कीजिए ! खिड़कियों को सहलाती, उनकी पीठ थपथपाती नर्म हवा की तरह पवित्र मोहब्बत कीजिए ! सुर्ख पत्तों को नम करती, उनसे लिपट जाने वाली,लिपट कर सरक जाने वाली ओस की तरह अंतिम सांस तक मोहब्बत कीजिए ! अँधेरे की बाहों में पसरी सुनसान सड़क पर निडरता से चलने वाले किसी राही की तरह बेधड़क मोहब्बत कीजिए ! कुदरत की कोख में समाये चाँद, सितारे, आसमान, बादल, नदी ,झरने, सागर, पहाड़, पेड़ पौधे, जंगल, मिट्टी के आपस में जुड़ी कहानी की तरह अटूट मोहब्बत कीजिए ! बेपनाह मोहब्बत कीजिए ! आखिरकार इंसानों को भगवान से प्राप्त सबसे खूबसूरत नेमत है "मोहब्बत"
हाँ, इस मोहब्बत में इतना ख्याल जरूर रखियेगा, कि अगर किसी दिन आपकी मोहब्बत आपसे दूर चली जाए, कारण कुछ भी रहा हो, लेकिन आपकी मोहब्बत अब आपकी न रह जाए, आपको छोड़कर चली जाए तो आपके अंतर्मन में उसके प्रति,उससे भी ज्यादा अपने प्रति, या समस्त संसार के प्रति नफरत की भावना न पैदा दो !
अकसर मोहब्बत को उदासी, गहरी पीड़ा, फिर नफरतों में तब्दील होते देखा गया है ! जैसे मजहबों की आग ने पृथ्वी के भौगोलिक पृष्ठभूमि के टुकड़े टुकड़े कर डाले, नफरत हमारे दिलों को अनंत टुकड़ों में बाँट देती है, छलनी कर देती हैं ! नफरत की आग में जलती हमारी निगाहों की परिधि सिमट जाती है और उसमें सिर्फ नकारात्मक विचारों के ज्वार-भाटे आते हैं ! नफरत के काले अँधेरे हमारे हमारी मोहब्बत को ही नहीं हमारी भावनाओं, हमारी इच्छाओं, हमारे ख्वाबों तक तो काला कर देते हैं, उन्हें दूषित कर देते हैं ! वह नफरत भले ही हम खुद से ही क्यों न करें !
नफरत से बेहतर है उदासीनता का भाव ! जहाँ हम यह मान लेते हैं कि हमारी मोहब्बत का अब कोई अस्तित्व ही नही है, हमारा कोई अस्तित्व नहीं है, मोहब्बत के जो खुशगवार पल हमने जिए वो एक बेहतरीन सपना था !
सपने टूट जाते हैं, बिखर जाते हैं और गुम हो जाते हैं ऐसे जैसे हम कभी उनसे मिले ही नही ! अगर आप यह कर सकें तो मोहब्बत कीजिए , बेपनाह मोहब्बत कीजिए !
हाँ, इस मोहब्बत में इतना ख्याल जरूर रखियेगा, कि अगर किसी दिन आपकी मोहब्बत आपसे दूर चली जाए, कारण कुछ भी रहा हो, लेकिन आपकी मोहब्बत अब आपकी न रह जाए, आपको छोड़कर चली जाए तो आपके अंतर्मन में उसके प्रति,उससे भी ज्यादा अपने प्रति, या समस्त संसार के प्रति नफरत की भावना न पैदा दो !
अकसर मोहब्बत को उदासी, गहरी पीड़ा, फिर नफरतों में तब्दील होते देखा गया है ! जैसे मजहबों की आग ने पृथ्वी के भौगोलिक पृष्ठभूमि के टुकड़े टुकड़े कर डाले, नफरत हमारे दिलों को अनंत टुकड़ों में बाँट देती है, छलनी कर देती हैं ! नफरत की आग में जलती हमारी निगाहों की परिधि सिमट जाती है और उसमें सिर्फ नकारात्मक विचारों के ज्वार-भाटे आते हैं ! नफरत के काले अँधेरे हमारे हमारी मोहब्बत को ही नहीं हमारी भावनाओं, हमारी इच्छाओं, हमारे ख्वाबों तक तो काला कर देते हैं, उन्हें दूषित कर देते हैं ! वह नफरत भले ही हम खुद से ही क्यों न करें !
नफरत से बेहतर है उदासीनता का भाव ! जहाँ हम यह मान लेते हैं कि हमारी मोहब्बत का अब कोई अस्तित्व ही नही है, हमारा कोई अस्तित्व नहीं है, मोहब्बत के जो खुशगवार पल हमने जिए वो एक बेहतरीन सपना था !
सपने टूट जाते हैं, बिखर जाते हैं और गुम हो जाते हैं ऐसे जैसे हम कभी उनसे मिले ही नही ! अगर आप यह कर सकें तो मोहब्बत कीजिए , बेपनाह मोहब्बत कीजिए !
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