फरिस्ता है इश्क में खुद को मिटाने वाला
अक्सर हँसता है आसुंओं में नहाने वाला !
मैं कब से मुड़ मुड़ के तनहा राहे देखता हूँ
लौट कर कब आता है छोड़कर जाने वाला !
पल भर में ही वो नजरों से गायब हो गया
सितारा जिसे था मैं प्यार से चूमने वाला !
हमेशा जान हथेली पर लेकर चलती हैं वे
मैं कौन होता हूँ उन्हें कुछ बोलने वाला !
मौत कहाँ रोक पायी है जीने वालों को
पुरसुकून सांस लेता है सांस छोड़ने वाला !
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