अभी कुछ न कहो, तुम यूँ ही खामोश अच्छे लगते हो |
भोर की किरण में फूल सा खिलते हुए अच्छे लगते हो |
कोई कह दे ,कि आइना में चेहरा संवरता है तो मत सुनना
इन्ही उलझी जुल्फों में तुम हँसते हुए अच्छे लगते हो |
आखिर ये दिल का मामला है, जाकर मिल आओ उससे भी
उसकी आँखों में खुद को तुम ढूंढते हुए अच्छे लगते हो |
नजारों का इशारा है खुद को मिटा दो इन लम्हों के दामन में
नादान पलों के झूले में तुम झूलते हुए अच्छे लगते हो |
मंजिलो का क्या है ?देख लेना मिल जायेंगी ये भी एक दिन
मत भागो इनके पीछे, तुम चलते हुए ही अच्छे लगते हो |
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