जिन्दा हो तो जिन्दगी है, रफ़्तार की अब क्या कहें ?
कभी धीमी, कभी तेज
तो कभी ठहर जाती है जिन्दगी |
तनहा सफ़र,आँखें
रुखी,ओंठ प्यासे, हर कदम में सूनापन
हमसफ़र मिलता नहीं कि
सुहानी हो जाती है जिन्दगी |
कोई हर वक़्त साथ
रहा, और दोस्त भी न बन पाया
किसी को एक लम्हे
में अपना बना जाती है जिन्दगी |
कैसी माया है ये कि
एक पल में कोई जी लेता है सदियाँ
अफ़सोस, किसी के लिए वहीँ
छोटी पड़ जाती है जिन्दगी |
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