मदहोशी का आलम हो, न
सुबह, न शाम हो
तू सामने रहे नजर
के, न भूख हो, न प्यास हो |
हर गुफ्तगू तेरी हो,
पर एक चाहत मेरी हो
मैं सुन लूँ तुझे,
तू आवाज हो चाहे बे-आवाज हो |
तेरे आंसू मेरे बने,
मेरी हंसी तुझपे मरे
ख़ुशी तेरी मुट्ठी
में हो, मेरा वक़्त तेरा गुलाम हो |
मुझे कोई अच्छा न
लगे, कभी कुछ बुरा न लगे
ऐतबार हो तो तुझपर
हो, रुसवाई हो तो तुझसे हो |
लहर चींखें देखकर
मुझे, साहिल मुझसे तेरा नाम पूछे
हर तरफ हमारा शोर
हो, हर जर्रे में हमारी दास्ताँ हो |
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