आस में चलते रहो !!!

आस में चलते रहो ।
बहती लहरों  के संग संग ,तुम भी चलते रहो
मिल जायेगा किनारा कोई ,इस आस में चलते रहो ।
ये रात काली आई है ,घबरा न जाना देख कर
सुबह जिन्दगी रोशन  होगी,इस आस में चलते रहो ।
क्या हुआ जो रेत है ,और आसमां से आग बरसे
उम्मीदों का सागर दूर नही,इस आस में चलते रहो ।
सफ़र आधा ही हुआ है और चला गया वो छोड़कर
मिल जायेगा कोई हमसफ़र, इस आस में चलते रहो ।
ये ख्वाहिशों का सफ़र है , मुश्किले तमाम आएगी
 कल बन जाएँगी हकीकत ये,इस आस में चलते रहो ।

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