डरता हूँ तुम्हारे आसमां से जमीन पर आने से
कही ख़तम न हो जाये अँधेरा मेरे गरीबखाने से।
डर लगता है जब खड़ी होती हो आईने के सामने
कहीं कोई चोर चुरा न ले तस्वीर तेरी आईने से।
निकला न करो यूँ इन अँधेरी रातों में संवरकर
कही हो न जाये सवेरा तेरे रूप के खजाने से ।
छुपा लो चाँद से चेहरे को अपनी रेशमी जुल्फों से
कहीं हो न जाये खता मुझसे ,तुम्हारे पास आने से ।
न हसों इतनी तेज की आवाज पहुँच जाये बादलों तक
कहीं होने न लगे बारिश, तेरे यूँ मुस्कराने से ।
कही ख़तम न हो जाये अँधेरा मेरे गरीबखाने से।
डर लगता है जब खड़ी होती हो आईने के सामने
कहीं कोई चोर चुरा न ले तस्वीर तेरी आईने से।
निकला न करो यूँ इन अँधेरी रातों में संवरकर
कही हो न जाये सवेरा तेरे रूप के खजाने से ।
छुपा लो चाँद से चेहरे को अपनी रेशमी जुल्फों से
कहीं हो न जाये खता मुझसे ,तुम्हारे पास आने से ।
न हसों इतनी तेज की आवाज पहुँच जाये बादलों तक
कहीं होने न लगे बारिश, तेरे यूँ मुस्कराने से ।
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