दो रूहों को हो जाने दो एक !!!


अब और कब तक , आखिर कब तक
मैं अपने अंदर बाँध कर रखूं
उमड़ जाने को तैयार इन तूफानों को 
अब नहीं सहा जाता है मुझसे इस तरह 
जज्बातों को सकुचाये हुए रखना 
जो बस तुम्हारी ही तरफ देख रहे हैं 
कि कब तुम प्यार से इन्हें अपना लोगी
देखो मैं नही जानता तुम्हारे मन की बात 
लेकिन तोड़ रहा हूँ मैं आज अपने बाँध 
कि मेरे शब्द तुम्हे भिगोने को बेताब हैं 
जरा इधर देखो , तुम देखो मेरी आँखों में 
एक प्यास ठहरी सी है इन काले घेरों में
जो बस तुम्हारे बरसने की राह देख रही है ।।
जब आँखों से नीचे उतरो , तो जरा देखना
जरा ध्यान से देखना इन ओंठो को 
जो न जाने कब से तड़प रहे हैं 
तुम्हारे ओंठों पर जाकर ठहर जाने को ।।
बस इतना ही नही है, सुनो 
ध्यान से सुनो मेरी रूह की आवाज
जो फ़रियाद कर रही है तुमसे 
कि उसे मिला लो तुम खुद में,
और दो रूहों को हो जाने दो एक 
इस जनम,अगले जनम और सातों जनम तक !!!