तुम हर पल याद आते हो !!!

सुबह सुबह ओस की बूंदों में
दोपहर धूप की अगड़ाई में
शाम फूलों की खुशबू में
तुम ही तुम नजर आते हो
 कहीं भी जाऊं ,कहीं  भी रहूँ
 नींद में रहूँ या, होश में रहूँ
 पास या तुझसे बहुत दूर रहूँ
 हर जगह ,हर वक्त ,सब कहीं
اतुम ही तुम नजर आते हो
मुझे पता है,खबर तुम्हे भी है,
पर समझ नहीं आता ,कैसे कहूँ
कि तुम हर पल याद आते हो । 


एक ही बूँद से भीगें हम दोनों !!

एक ही बूँद से भीगें  हम दोनों ।
एक बेगाने से मौसम में
 एक अनजाने से मिलने
छम -छम  आवाज करती आई  थी  तुम
रिमझिम-रिमझिम बरसात संग लायी थी तुम
तुम्हे देख  जाने कितने ख्वाब जागे थे मन में
न जाने कितने अरमान उमड़े थे मुझमे
पैरों से पानी को उछालती 
अपने भीगते आँचल को हवा में लहरा
चेहरे को ऊपर उठा आँखे बंदकर
अपने ओठो पर ठहरी बूंदों को सहलाती
मेरा नाम अपने ओठों पर लायी थी तुम
कुछ शरारती बूँदें तुम्हारे गालों को चूमती
तुम्हारे कपड़ो को भेदती
भिगो रही थी तुम्हारे तन-मन  को
तभी हवा का सर्द झोंका आया था
तुम सर से पाँव तक कांपती
छप -छप  करती मेरी तरफ भागती
मुझमे लिपट गयी थी तुम
और फिर   घंटों बारिश में
एक ही बूँद  से
भीगे  थे हम दोनों
वो बारिश फिर  आई है
तुम भी छम-छम करती आओं न
फिर से हवा का झोंका आये
 फिर से तुम लिपटो मुझसे
और एक ही बूँद से भीगें  हम दोनों ।

ये मेरी जिन्दगी है !!!


ये मेरी जिन्दगी है मै जैसा चाहूंगी / चाहूँगा वैसे जिऊँगी / जिऊंगा | आज कल अक्सर ये शब्द सुनने को मिल ही जाता है | अभी चंद दिन पहले मै दोस्तों के साथ लंच करने एक होटल गया हुआ था | वहीँ मुझसे थोड़ी दूर पर बैठी एक लड़की अपने सामने बैठे लड़के से यही कह रही थी | और बेचारा वह लड़का............. रो रहा था | दिखने में तो २२ -२३ साल लग रहा था लेकिन रो रहा था बच्चों की तरह | उस घटना ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया |
क्या सच में हमारी जिन्दगी बस हमारी जिन्दगी ही होती है ? क्या सच में हमें दूसरों की जिन्दगी से कोई वास्ता नही रखना चाहिए ? क्या कुछ भी करते या कहते समय हमें नही सोचना ही नही चाहिए कि जो हम करने या कहने जा रहे है उससे किसी की जिन्दगी पर क्या असर पड़ता है ?
आखिर क्यों ? क्या हम सब इतने खुद – गर्ज हो गए हैं | आज हम सब जिन्दगी के किस मोड़ पर आकर खड़े हो गए हैं | आज अगर पापा कहते है कि बेटा वह लड़की तुम्हारे लिए ठीक नही है तुम उसके साथ ज्यादा मत रहा करो | तो लड़का जवाब देता है यह मेरी जिन्दगी है और मुझे अच्छी तरह मालूम है मेरे लिए क्या ठीक है और क्या नही | लड़कियां भी इस आज रेस में पीछे नही है | पापा कितना भी कहें कि बेटा घर थोडा जल्दी आ जाया करो | यूँ रात के १२ बजे तक बाहर घूमना ठीक नही है | तो लड़की कहती है पापा मै अब बड़ी हो गयी हूँ | मुझे पता है मुझे घर कब आना है और कब जाना है |
अब बेचारे पापा क्या कर सकते हैं | उनकी ही औलाद ने जब उन्हें अपनी जिनगी से बेदखल कर दिया हो |
लेकिन अगर सच कहूँ तो यह किसी के पापा की चिंता नही है कि उनके बेटे ने आज उनसे क्या कहा | वह तो सब माफ़ कर देते है और कुछ दिन बाद भूल भी जाते है |
यह चिंता तो हम नवयुवकों के लिए है | आज हम कितने स्वार्थी हो गए है | सिर्फ अपनी ख़ुशी के लिए हम अपनी जिन्दगी से कभी भी किसी को भी अलग कर देते हैं | बिना यह सोचे कि इससे उसकी जिन्दगी पर क्या प्रभाव होगा |
हम पहले तो ऐसे नही थे | हम क्यों इतना बदल गए | क्या हमारे अंदर की भावनाएं मर गयी हैं या हमारी सोचने की क्षमता क्षीण हो गयी है | हम खुद पर इतना यकीन कैसे कर सकते हैं कि हम बिना अपनों के भी जी सकते है |
माना कि जमाना तेजी से बदल रहा है लेकिन प्लीज बदलते ज़माने के साथ इतना भी मत बदल जाओ कि एक दिन तुम्हे कोई पहचानने से भी इनकार कर दे | खुद पर भरोषा करना अच्छी बात है लेकिन इस भरोशे को दूसरों के साथ बाटों | कुछ ऐसा करो कि तुम्हारे सिवा दूसरे भी तुम पर भरोषा करें | जो तुम्हारे पास आना चाहते है उन्हें खुद से दूर मत भगाओ | दुनिया पहले ही बहुत अकेली हो चुकी है इसे अब और अकेला मत बनाओ | खासकर पूर्वजों की उम्मीद , आज की दुनिया के नायक , कल के भविष्य हमारे नवयुवक तुम तो इस बात को जरूर समझ जाओ |

कभी आओ !!!

कभी आओ , सारे बंधन , सारे रिश्ते तोड़ कर आओ |
इधर उधर तुम क्यों देखो , मै यहाँ हूँ , वहां कहाँ
अगर भटक गयी हो , मुझे भूल गयी हो तो
खुद से पूछो , रास्तो से पूछो , बीते दिनों से पूछो
मुझे , मेरे बारे में , तुमसे रिश्ता क्या है मेरा
वो ना बताएं ना सही , तुम तो याद करो जब
कुछ टूटे-फूटे लब्ज , कुछ आंसू ,और एक वादा
मेरी अमानत ,जो तुमने दी थी मुझे, जाते वक़्त
कभी कुछ याद आ जाए तो आओ , मेरे पास आओ |
सारे बंधन , सारे रिश्ते सब कुछ तोड़ कर आओ |

मुझे पहचान लो, हवा का झोंका हूँ !!!

तेरे  आस पास हूँ मै
मुझे पहचान लो , हवा का झोंका हूँ ,
तेरे गलियारे  में घूमता रहता  हूँ ।
तेरे खनकती पाजेब की धुन पर
बिन संगीत थिरकता रहता हूँ । 
कभी तेरी साँसों में छुपकर तो कभी
तेरे आँचल से महकता रहता हूँ ।
तेरी नीली नीली झील सी आँखों में
 तैरता ,तो कभी बहकता रहता हूँ ।
तेरी घनी बलखाती जुल्फों के संग
उछलता तो कभी झूलता रहता हूँ ।
मुझे पहचान लो , हवा का झोंका हूँ ,
तेरे गलियारे  में घूमता रहता  हूँ ।

दिल ने कहा कुछ लिखूं !!!

                                                        
जब भी तुम्हे देखा दिल ने कहा कुछ लिखूं
तेरी खूबसूरती  लिखूं ,कि तेरी अदा  लिखूं ।
तेरी आँखों की उठती पलकों से निखरी सुबह
या तेरी झुकती पलकों में छुपी शाम  लिखूं ।
तेरी रेशम सी लहराती जुल्फों से बरसती घटा
या तेरी खामोश जुल्फों से उतरी छांव लिखूं ।
महफ़िलो में तेरे  हुस्न से बनायीं हुई गजल
और तन्हाई में कोरे पन्नो पर तेरा नाम लिखूं ।

मुझे भी मोहब्बत है उनसे !!!

                                                             मुझे भी मोहब्बत है उनसे
यूँ जो रोज मेरी गलियों से गुजरा करती हैं  |
सबको देख सलाम पर मुझसे परदा  करती  है
जब भी  कभी किस्मत दे जाती है कोई मौका 
चुपके-चुपके उनकी नजरें मुझे देखा करती है  
कभी सुबह तो कभी शाम ,किसी बहाने से
 तेरे हाथों मुझे पैगाम भेजा करती है ,ये हवा
जा कह दे उन्हें ,मुझे भी मोहब्बत है उनसे

आस में चलते रहो !!!

आस में चलते रहो ।
बहती लहरों  के संग संग ,तुम भी चलते रहो
मिल जायेगा किनारा कोई ,इस आस में चलते रहो ।
ये रात काली आई है ,घबरा न जाना देख कर
सुबह जिन्दगी रोशन  होगी,इस आस में चलते रहो ।
क्या हुआ जो रेत है ,और आसमां से आग बरसे
उम्मीदों का सागर दूर नही,इस आस में चलते रहो ।
सफ़र आधा ही हुआ है और चला गया वो छोड़कर
मिल जायेगा कोई हमसफ़र, इस आस में चलते रहो ।
ये ख्वाहिशों का सफ़र है , मुश्किले तमाम आएगी
 कल बन जाएँगी हकीकत ये,इस आस में चलते रहो ।

मै देखता आसमां और बरसात आती ।

                                                   
                                                काश अपनी भी ऐसी ही इक रात आती,
                                                   मै देखता आसमां और बरसात आती ।
                                                   ढूंढ़ता फिरता चाँद महबूबा को अपनी
                                                   चांदनी मुझसे मिलने मेरे पास आती ।
                                                   रात भर उसके पहलू में जागता मै रहता
                                                   और वो मेरी नींदों में हर-बार आती ।
                                                    उसके ओठों पर बस मेरा नाम रहता
                                                   मेरी बातों में उसकी ही हर बात आती ।
                                                   टूटे पत्तो की तरह जमीं को छूते हुए
                                                   काश मुझको छूने मेरी दिलदार आती ।

एक डोर है जो टूटती नही !!!

                                                                                    
  आज  भी हम दोनों के दरमियां 
 एक डोर है जो टूटती  नही
 उस  पेड़  का आखिरी पत्ता भी अब टूट चूका है ।
  जिसकी नर्म छांव में बैठकर
  वह मेरे लिए कुछ सपने बुन लिया करती थी । 
  वह मक्खी भी अब नही आती
  जो मेरे गालों पर बार -बार बैठ जाया करती थी 
और वह हौले से हर बार उसे उड़ा  दिया करती थी 
वह चांदनी भी अब कहीं नही मिलती 
जिसे हर सुबह मुझ पर लुटाने को वह 
रात को अपने आँचल में भर लिया करती थी 
वो हवा का झोंका अब जाने किधर जाता है 
अक्सर रूठ कर जाने के बाद, मेरे हाल लेने 
जिसे वह मेरे पास भेज दिया करती थी 
वो वक्त छूट गया ,चांदनी चली गयी
पत्ता टूट गया ,हवा चली गयी
और उन्ही के संग संग वह भी 
मुझे कहीं नही मिलती अब वह 
फिर भी हम दोनों के दरमियां 
एक डोर है जो टूटती नही 
एक आस है ,जो छूटती नही ।

कोई तो हमसफ़र हो !!!

                                                                कोई तो  हमसफ़र हो  ।
सुबह सूरज की पहली किरण से लेकर शाम के ढलते सूरज की
आखिरी किरण तक हमारी जिन्दगी इतनी व्यस्त रहती है की
हमें अपने बारे में सोचने का वक़्त ही नहीं मिलता ।ऐसे
लगता है जैसे हम जिन्दगी को नहीं जिन्दगी हमें चला रही होती
 है । काम ,काम और बस काम । शाम को थक -हार कर हम घर
आते हैं । रात आने पर हम छत  पर चले जाते हैं  और एकदम अकेले
 हो जाना चाहते हैं | सारी दुनिया से बेखबर । हम चुपचाप आँख बंद
 कर लेट जाते हैं । रात की चांदनी हमें अपने आँचल में ढक लेती है ।
चाँद सारी दुनिया को निहारता और अपनी प्रियवर को खोजता आगे
 बढता रहता है । तभी रात की शीतल हवा हमारे बदन को छूकर
 किसी का एहसास दिला जाती है। जो हमारे दिल के सबसे करीब
 होता है । और हम उसके सपनो में खोते चले जाते हैं । बस  यहीं से
शुरू  होती है पिछली रात की अधूरी  कहानी जो कल रात अधूरी
रह गयी थी । हम उसे अपने पास महसूस करने लगते हैं , उससे बाते
करने लगते हैं  ,वादे  करते हैं  और सुनहरे भविष्य के सपने देखने लगते
हैं | एक दुसरे में खोते चले जाते हैऔर इसी कसमकस में कब नींद
हमें अपने आगोश में समेट लेती है  पता  ही नहीं चलता ।
ऐसे  आलम में बस यही कहने को जी चाहता  है -
रातो का सफ़र अब जारी  हुआ, कोई नहीं है हम-दम मेरा
 बन के मेरी हमसफ़र ,बस  अब तुम मेरे साथ चलो ।
तारे तुझको देख रहे हैं , अभी चाँद भी तुझको छेड़ेगा 
छुप कर मेरे सीने में अब तुम मेरे साथ चलो ।
 कुछ वादे किये थे  मिलकर हमने, देखे थे कुछ सपने हमने
पूरा करने उन सपनो वादों को, बस  तुम मेरे साथ चलो ।
दिन के उजालो में गर हम निकले, देखेगी दुनिया चोर नजर से 
हो के निडर रात की सुन्दर आभा में, बस तुम मेरे साथ चलो ।
रहेंगे जब तक चाँद सितारे कभी ख़तम न होगा अपना सफ़र 
भूल के तुम ये दुनिया सारी बस  तुम मेरे साथ चलो ।

जिंदगी बहुत खूबसूरत है !!!


सूनी  बंजर राहों पर चलता
 कभी मंजिल ढूंढ़ता ,
तो कभी रहने को  ठिकाना ,
 गमो के घने बदलो के बीच
ख़ुशी की एक रौशनी ढूंढ़ता
हतास ,जिन्दगी से परेशान
बहुत परेशान  था ,मै 
कि एक शाम एक मोड़ आया
और राह ले आई मुझे तुम्हारे पास
तुम्हारी छांव तले राह आसान हो गयी
नज़ारे हसीन  लगने लगे
मन जीवंत हो उठा
तुम्हारी हसीं में मैंने खुद को
मुस्कुराते हुए देखा तो लगा
जिन्दगी बहुत खुबसूरत है ।
हसीन  है ,जीने लायक है ।