कई दिनों बाद कभी
जब बीत जाए शीत ऋतु
तुम आओ जरा वसंत से पहले
और झटक दो अपना आँचल
मेरे ऊपर कुछ इस तरह
कि मेरा रोम रोम भर जाए
तुम्हारे प्यार में इतना
जैसे पतझड़ के मौसम में
सड़क को भर देते हैं
टूट कर गिरे हुए
गुलमोहर के लाल पीले पत्ते |