मैंने घबराकर अपने बाएं हाथ से उसकी गर्दन अपनी तरफ घुमाई और उसके चेहरे की तरफ देखा | लेकिन यह क्या ? उसकी आँखें अभी भी मुझे देख रही थीं लेकिन उन आँखों में कोई हलचल नहीं थी | शायद उसके कान अभी भी मेरी आवाज सुन रहे थे लेकिन उसके ओंठ कुछ भी कहने के लिए हिल नहीं रहे थे | मेरा दायाँ हाथ अभी भी उसके हाथ में था लेकिन उसकी पकड़ कमजोर पड़ गयी थी | मेरी चीख सुनकर सतीश और लता अंदर आ चुके थे | जूस अभी भी मेज पर रखा हुआ था | मैंने कोमल का हाथ छोड़ दिया और एक दूसरी ही दुनिया में खो गया | ऐसी दुनिया जहाँ शीतल हवा ने अचानक आंधी का रूप ले लिया हो और सब कुछ उड़ाकर ले जा रही हो | जहाँ मैं समुद्र के किनारे बैठा मखमली लहरों से अपने पैर भिगो रहा हूँ कि अचानक उन लहरों ने सुनामी का रूप ले लिया और मुझे डुबाने लगी हो | एक ऐसी दुनिया जहाँ फूल भी मुझे चुभते हो, जहाँ सुबह काली होती हो, जहाँ शाम भी वीरान हो, जहाँ रातें चांदनी नहीं आंसू बरसाती हों, जहाँ नींद में रोमेंटिक सपनों की जगह डरावने सपने आते हों, जहाँ ख़ुशी की कोई लकीर ना हो और हर तरफ उदासी का राज हो, जहाँ लोग बस कहने को जिन्दा हैं...........| कुछ पलों के लिए तो मैं भी उस दुनिया का हिस्सा बन गया | उदास..........शांत............शोक में डूबा..........ख्यालों में खोया...........आँखों में आंसू............दिल में दर्द...........और कोमल की यादों को समेटे मैं वहीं बैठा रहा और कोमल को मेरी आँखों के सामने से लेकर वो चले गये | जूस अभी भी टेबल पर रखा हुआ था |