झोपड़े के झरोखों से झांकता वो चाँद !!


   रात के अंधेरों में
  झोपड़े के झरोखों से
  झांकता वो चाँद
 बहुत खूबसूरत ,उजला
 कुछ दाग जरूर हैं उसमे
 पर है वो बहुत मासूम
 न  जाने  कहाँ ,किधर
 ख्यालों में खोया हुआ
 बस भटकता रहता है ।
 तलाश नही है उसे किसी की
 फिर भी न जाने क्यों ।
 अच्छी लगने लगी हैं उसे अब
 ये रात की खामोशियाँ
 ये जागती हुई तन्हाइयां ।
 सूरज की  आहत  मिलते ही
 न जाने कहाँ किधर
 पर  छुप जाता है वो ।
 डरता नही है वो किसी से
 पर  वो रहना ही नही चाहता
 इन उजालों में ।
 शायद इन उजालों की  चकाचौंध ने
 बहुत परेशान किया है उसे
 बहुत सताया है उसे ।
 अब इन सब से दूर
  इन उजालों से बेखबर
 नीले-नीले आसमां के तले
 जगमगाते सितारों के दुनिया में
  रहता है वो ,वही से हंसता  है वो ।

No comments:

Post a Comment