जब सुबह अधखिली धूप में आपकी याद आये
तुम्हारी ये खिलती मुस्कान मेरे मन को हंसा जाये ।
जब दोपहर की बढती तमाजत में मेरा दिल न लगे
हवा का गर्म झोका मेरे तन को तेरा अहसास दिला जाये ।
जब शाम की चुभती ख़ामोशी मुझे तडपाने लगे
चुपके से आपकी आवाज आये और बदन को गुदगुदा जाये ।
जब अकेले तनहा चांदनी रातों में मुझे नींद न आये
काश कोई मेरे सपनो में आकर मुझे आहिस्ते से सुला जाये ।
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