आज दूर ही सही ,कभी मेरे पास आओगे तुम
बहुत करीब से अक्स अपना मुझे दिखाओगे तुम ।
सुबह से शाम तक मेरी आँखों में देखोगे तुम
देखते -देखते इन्ही आँखों में खो जाओगे तुम ।
कभी रात की ठण्ड जब बहुत सताएगी तुम्हे
नींद में ही सही पर मुझसे लिपट जाओगे तुम ।
ख्यालों में चलते चलते जब थक जाओगे तुम
मेरी बाहों में खुद को सुलाकर सुस्ताओगे तुम ।
फिर जिन्दगी के किसी मोड़ पर बिछड़ जाओगे तुम
तड़पोगे मेरी याद में ,मुझे बहुत रुलाओगे तुम ।
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