सुबह के निकले ,थक-हार कर वापस यहीं आयेंगे ।
परिंदों का घर है आसमां, छोड़कर कहाँ जायेंगे ?
सावन भी है ,शाम भी है , आने भी दो बारिश को
इन्तजार में बैठे हैं मोर, नाचने और कहाँ जायेंगे ?
गुलशन में फूलों को खिलने दो ,महकने दो
गर फूल ही न रहे, भौरे पेट भरने कहाँ जायेंगे ?
सुन भी लो, कह भी दो ये रात का आखिरी पहर है
सुबह किसे पता तुम किधर ,हम कहाँ जायेंगे ?
परिंदों का घर है आसमां, छोड़कर कहाँ जायेंगे ?
सावन भी है ,शाम भी है , आने भी दो बारिश को
इन्तजार में बैठे हैं मोर, नाचने और कहाँ जायेंगे ?
गुलशन में फूलों को खिलने दो ,महकने दो
गर फूल ही न रहे, भौरे पेट भरने कहाँ जायेंगे ?
सुन भी लो, कह भी दो ये रात का आखिरी पहर है
सुबह किसे पता तुम किधर ,हम कहाँ जायेंगे ?
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