कभी सितारों की तरह झिलमिलाती
कभी नदी की तरह बलखाती
कभी तितली की तरह मंडराती
तो कभी फूलों की तरह इतराती
जब पुकारता हूँ तुम्हे
तुम चली आती हो ।
कभी जल से निकली जलपरी
कभी आसमां से उतरी उड़नपरी
कभी रात में रोशन चांदनी
तो कभी मीठे सुरों से बनी रागिनी
जिस रंग में चाहता हूँ तुम्हे
तुम बदल जाती हो ।
कभी बंजर राहों पर हमराह बन
कभी तन्हाईयों में आवाज बन
कभी यादों की दास्तां बन
कभी मन के खयालात बन
जब अकेले में सोचता हूँ तुम्हे
तुम दिल में उतर जाती हो ।
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