तेरी अदा लिखूं !!!

जब भी तुम्हे देखा दिल ने कहा कुछ लिखूं
तेरी खूबसूरती  लिखूं ,कि तेरी अदा  लिखूं ।
तेरी आँखों की उठती पलकों से निखरी सुबह
या तेरी झुकती पलकों में छुपी शाम  लिखूं ।
तेरी रेशम सी लहराती जुल्फों से बरसती घटा
या तेरी खामोश जुल्फों से उतरी छांव लिखूं ।
महफ़िलो में तेरे  हुस्न से बनायीं हुई गजल
 तन्हाई में कोरे कागज पर तेरा नाम लिखूं ।
















चलो अब घर लौट चलें !!!

चलो अब घर लौट चलें ,शाम ढलने लगी है ।
परिंदे वापस घर जाने लगे ,रात बढ़ने लगी है ।
रास्ते तो दुश्मन हुए ,नज़ारे भी बहका रहे है
धीरे धीरे ही सही पर मदहोशी छाने लगी है ।
यूँ तो उसने छुपकर कहानियाँ लिखी है बहुत
 रात हमारी कहानी खुले-आम लिखने लगी है ।
कुछ ऐसा कर दो ए सनम ,हो जाऊं मै तुम्हारा
फ़िजा भी मेरी आस में मेरे साथ चलने लगी है ।







चूमने को जी चाहता है !!!

एक खूबसूरत  सा आलम देखने को  जी चाहता है ।
आज फिर गाँव लौट जाने को जी  चाहता है ।
मखमली घास और उन पर ओस की   बूंदें
सूरज की मद्धिम रोशनी और चमचमाती  ये बूंदें
इन्हें हाथों  में ले  चूमने  को  जी  चाहता है
आज फिर गाँव लौट जाने को जी  चाहता है ।
झूमती बलखाती वो सरसों की बलियां
उन पर खिलते नाजुक फूलों की कलियाँ
उन्हें बाहों में ले संग झूमने को जी चाहता है
आज फिर गाँव लौट जाने को जी  चाहता है ।