दुनिया को तेरी तरफ तकने ना दूँ !!!

अब लौट भी आओ कि तेरे बगैर किसी सपने को सजने ना दूँ |
अपनी किस्मत के पन्नों पर तुम्हे लिख दूं, फिर मिटने ना दूँ |
जो हो गया अब उसका क्या, वो किस्मत न तेरी थी न मेरी थी
तू हो जा रेत, तुझे मुठ्ठी में भर लूँ, इस बार फिसलने ना दूं |
आजाद ख़याल को वो पंछी, जो उड़ा करता था बड़ी दूर तक
तू भी उड़ आजाद ख्यालों में, तेरी ऊँचाइयों से तुझे गिरने न दूँ |
और, वो चिराग फिर से जल उठेगा, जो आंधी ने धोखे से बुझाए थे
मैं दीपक की लौ में तुझे निहारूं, दुनिया को तेरी तरफ तकने ना दूँ |