कुछ ठंडक सी थी फिजा में
हवा बहकी थी ,कि कोई तूफ़ान आया था
रोशनी भी हुई थी जहाँ में
बिजली चमकी थी, कि कोई चाँद निकला था
होश आया तो पता चला
कुछ नही हुआ था
बस तेरा खवाब आया था ।
“शब्द” आत्मा लेखन की | “अहसास” ताकत लेखन की | “अनुभव” गहराई लेखन की | जब शब्द, अहसास और अनुभव का समावेश होता है तो बनती है एक कहानी, एक नज़्म, एक कविता या कोई ग़ज़ल | नज़्म, गीत, ग़ज़ल, कहानी जो दिल से होकर रूह तक को भिगो दें | आपको हमको भिगो दें | ऐसी ही अहसासों, भावनाओं से ओत-प्रोत“चाँद पराया है” में आप सभी का हार्दिक स्वागत है !!!