छम-छम करती आओं न !!!

एक बेगाने से मौसम में
 एक अनजाने से मिलने
छम -छम  आवाज करती आई  थी  तुम
रिमझिम-रिमझिम बरसात संग लायी थी तुम
तुम्हे देख  जाने कितने ख्वाब जागे थे मन में
न जाने कितने अरमान उमड़े थे मुझमे
पैरों से पानी को उछालती 
अपने भीगते आँचल को हवा में लहरा
चेहरे को ऊपर उठा आँखे बंदकर
अपने ओठो पर ठहरी बूंदों को सहलाती
मेरा नाम अपने ओठों पर लायी थी तुम
कुछ शरारती बूँदें तुम्हारे गालों को चूमती
तुम्हारे कपड़ो को भेदती
भिगो रही थी तुम्हारे तन-मन  को
तभी हवा का सर्द झोंका आया था
तुम सर से पाँव तक कांपती
छप -छप  करती मेरी तरफ भागती
मुझमे लिपट गयी थी तुम
और फिर  घंटों बारिश में
एक ही बूँद  से
भीगे  थे हम दोनों
वो बारिश फिर  आई है
तुम भी छम-छम करती आओं न
फिर से हवा का झोंका आये
 फिर से तुम लिपटो मुझसे
और एक ही बूँद से भीगें  हम दोनों ।




तुम दिल में उतर जाती हो !!!

कभी सितारों की तरह झिलमिलाती
कभी नदी की तरह बलखाती
कभी तितली  की तरह मंडराती
तो कभी फूलों की तरह इतराती
जब पुकारता हूँ तुम्हे
तुम चली आती हो ।
कभी जल से निकली जलपरी
कभी आसमां  से उतरी उड़नपरी
कभी रात में रोशन चांदनी
तो कभी मीठे सुरों से बनी रागिनी
जिस रंग में चाहता हूँ  तुम्हे
तुम बदल जाती हो ।
कभी बंजर राहों पर हमराह बन
कभी तन्हाईयों में आवाज बन
कभी यादों की दास्तां  बन
कभी मन के खयालात बन
जब अकेले में सोचता हूँ  तुम्हे
तुम दिल में उतर जाती हो ।

गुलाब सा खिल जाना !!!

सुबह-सुबह आँखों में नींद लिए
 तुम्हारा बालकनी में निकल आना
दोनों हाथो से बालों को सुलझाना ।
सूरज की हलकी धूप  पड़ते ही
तुम्हारे चेहरे का गुलाब सा खिल जाना  ।
हवाओ के ठन्डे झोकों से
तुम्हारे बदन का अचानक कांप जाना
मुझसे थोड़ी दूर बैठकर तुम्हारा मुझे देखना
फिर अचानक उठकर  बेपरवाह चले जाना
दरवाजे पर पहुचते ही मुड़कर मुझे देख लेना
 आँखों से न जाने क्या कहकर
आहिस्ते से तुम्हारा मुस्करा देना
तभी गर्दन के संग जुल्फों को झटक कर
बिना सोचे तुम्हारा यू  गुजर जाना
कभी छोटी-छोटी बातो पर तुम्हारा  गुस्साना
तुम्हारी गहरी आँखों का आंसुओ से भर जाना
 नम आँखों को छुपाने की कोशिश में
मासूम से चेहरे को नन्ही हखेलियों से ढक  लेना
थोड़ी देर बाद मेरे पास आना
मेरे कंधे पर सिर रखकर सो जाना
 आज तुम नही हो मेरे साथ
 तो हर वो  पल याद आते हैं ।