बेशक़ीमती गहने हों जैसे !!!


शर्म हया लाज घूंघट मुस्कराहट उसने पहने हैं कुछ ऐसे 
बड़ी दुर्लभता से मिलने वाले बेशक़ीमती गहने हों जैसे !!
जलती तपती उड़ती रेतों को वो अंजलि में यूँ भरती है 
मेले में खोकर फिर मिलने वाले उसके बच्चे हों जैसे !!
थमते बहते गिरते अश्कों को चूमती है जो नजरों से ही 
निकल कैद उन्मुक्त गगन में उड़ने वाले सपने हों जैसे !!
रूकती चलती थकती आगे बढ़ते ही जाना है उसको 
सारी दुनिया के गम निपट अकेले ही सहने हों जैसे !!!

वो रोज मेरी निगाहों में झांकता रहता है !!!


वो रोज मेरी निगाहों में झांकता रहता है
न जाने क्या उसमे ढूंढता रहता है 
जो ढक लेती हैं पलकें निगाहें मेरी 
उसकी आँखों से कुछ पिघलने लगता है 
जो पूछता हूँ उससे इस बेकरारी का सबब 
जवाब में बस आँखों से मुस्कुराने लगता है !!!

तुम्हारे आ जाने से क्या बदल जायेगा.!!!

तुम पूछते हो इक तुम्हारे आ जाने से क्या बदल जायेगा..??
 किसी के सूखे ओंठ खिलकर गुलाब की पंखुड़ी बन जायेंगे 
किसी के उजाड़ चेहरे पर गुलाबी रंगत खिल जायेगी
 किसी की सूखती आँखों से मुहब्बत की नमी बह जायेगी
 किसी के ख्वाब की सूखी टहनियों पर कोपलें लहलहा जायेगीं
 किसी की थमी हुई धड़कन से सदा निकल कर बिखर जाएगी 
और तुम हो कि पूछते हो, इक तुम्हारे आ जाने से क्या बदल जायेगा..??