वो रोज मेरी निगाहों में झांकता रहता है
न जाने क्या उसमे ढूंढता रहता है
जो ढक लेती हैं पलकें निगाहें मेरी
उसकी आँखों से कुछ पिघलने लगता है
जो पूछता हूँ उससे इस बेकरारी का सबब
जवाब में बस आँखों से मुस्कुराने लगता है !!!
“शब्द” आत्मा लेखन की | “अहसास” ताकत लेखन की | “अनुभव” गहराई लेखन की | जब शब्द, अहसास और अनुभव का समावेश होता है तो बनती है एक कहानी, एक नज़्म, एक कविता या कोई ग़ज़ल | नज़्म, गीत, ग़ज़ल, कहानी जो दिल से होकर रूह तक को भिगो दें | आपको हमको भिगो दें | ऐसी ही अहसासों, भावनाओं से ओत-प्रोत“चाँद पराया है” में आप सभी का हार्दिक स्वागत है !!!