मैं तुमसे चिढ़ता था |

मैंने तुम्हे कभी बताया नहीं लेकिन मैं तुमसे चिढ़ता था | मैं तुमसे चिढ़ता था क्योंकि तुम क्लास में हमेशा प्रथम आते थे और मैं बस जैसे तैसे पास हो पाता था | मैं तुमसे चिढ़ता था क्योंकि टीचर तुम्हारी पीठ थपथपाते थे और मुझे मुर्गा बना देते थे | मैं तुमसे चिढ़ता था क्योंकि क्लास की लड़कियों के लिए तुम हीरो थे और मैं विलेन की तरह देखा जाता था | मैं तुमसे चिढ़ता था क्योकिं तुम्हें देश की सबसे अच्छी यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला और मुझे अपने ही शहर में एक छोटी सी यूनिवर्सिटी में पढाई करनी पड़ी | मैं तुमसे चिढ़ता था क्योंकि तुम्हें एक टॉप क्लास (जिसका नाम सब जानते थे ) कंपनी में नौकरी मिली और मुझे एक छोटी सी कंपनी नसीब हुई | मैं तुमसे चिढ़ता था क्योकिं जल्द ही तुमने बड़ी सी गाड़ी खरीद ली और मेरे पास वही २ पहिये वाली मोटरसाइकिल थी |
लेकिन उस रात जब मैं अपनी प्रियवर के साथ छत पर बैठा बिखरी चांदनी को निहार रहा था कि करीब ११ बजे जब मैंने तुम्हे अपनी गाड़ी से आते देखा तो मुझे तुमसे बिलकुल भी चिढ़ नही हुई | तुम्हें देखकर मुझे निराशा हुई | मुझे तुम पर तरस आया |

सुबह जब मैं नींद में अंगडाइयां ले रहा था तब तुम गाड़ी में बैठ रहे थे | उस वक़्त मुझे तुम्हारे माथे पर शिकन, परेशानी, और डर की जो रेखाएं दिखाई दी मुझे तुमसे बिलकुल भी चिढ़ नही हुई | तुम्हें उस हाल में देखकर मुझे दुःख हुआ, सहानभूति हुई और मैंने तुम्हे बड़े ही रहमदिली वाली नजरों से देखा | तुम्हारे जाने के बाद मैंने मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद किया कि उन्होंने मुझे क्लास में प्रथम नहीं आने दिया था | 

वो रास्ता याद रखना !!!

जिस सड़क से गुजरो वो रास्ता याद रखना 
कभी लौटने का मन हो तो पता याद रखना !
सफ़र में कोई हमसफ़र जो अच्छा लगे बहुत 
दिल की बात ओंठों पर लाना याद रखना !
रात में सितारे अगर बहुत हों फलक पर
  चाँद के साथ साथ मुझे देखना याद रखना !
थक जाओ जो बहुत और मंजिल न दिखे
आसमां में परिंदों का उड़ना याद रखना !

अँधेरे की बाहों में मिलो कभी !!!

जहाँ हमें कोई जानता न हो उस गुमनाम रास्ते पर मिलो कभी 
 बीते दिन बीती यादें भूलकर कुछ कदम मेरे साथ चलो कभी |
रूबरू होगी एक नयी जिंदगी , हंसी के कहकहे फिर से गूजेंगे 
चमकते सितारों से भरे आसमान की सेज पर चाँद सा मिलो कभी ।
 बहारों का क्या है देख लेना वो भी चली आएँगी पीछे तुम्हारे
 किसी रंग बिरंगी शाम में फूलों से भरे बगीचे में मिलो कभी ।
 वक़्त भी जी उठेगा तुम्हारी जिंदगी के फ़साने में इतनी खुशियाँ होंगी 
 वक़्त की नजरों से दूर, घनघोर अँधेरे की बाहों में मिलो कभी ।