उम्मीद !!!

उसने खोया है बहुत, पाया कुछ भी नही है |
वो हारा है बहुत, जीता कुछ भी नही है |
बस एक उम्मीद है, विश्वास है 
और एक दीप है जलता हुआ 
इसके सिवा उसके पास, रहा कुछ भी नही है | 

इन्तजार !

हर लम्हा उसका ही इन्तजार
मुझे तड़पाता रहता है |
निगाहें कभी इधर तो कभी उधर
उसकी ही तलाश करती है |
रात होते ही मेरे दिल में
उसका साया बनने लगता है
ऐसा लगता है जैसे वह
मुस्कुराते हुए मेरे पास आती है |
और मुझसे पूछती है
तुम्हे मेरा ही इन्तजार था ना ?
 मै उससे कुछ कह नही पाता
ऐसा लगता है जैसे
मेरे ओंठ सिल गये हों
मेरी रूह बर्फ सी जम गयी हो
मै एक दीवाने की तरह
बस उसे एकटक देखता रहता हूँ
और वह शरमा जाती है |
शरमाते हुए वह पूछती है
क्या मै इतनी खूबसूरत हूँ ?
मै आँख बंद कर लेता हूँ
और उससे कहता हूँ “ हाँ “
तुम बहुत खूबसूरत हो |
तुम्हारी आँखे में डूबने को जी करता है |
तुम्हारी बाहों में झूमने को जी करता है |
तुम्हारे ओंठ चूमने को जी करता है |
यह कहकर मै हौले हौले
अपनी आँखें खोलता हूँ
और वह मुझे नही दिखाई देती |
कहीं भी नही |
एक बार फिर ये निगाहें
उसे तलाश करने लगती है |
लेकिन वह कहीं नही दिखती
कहीं भी नही |

ख्वाब बड़ा हो गया !!!


रात के आते ही मेरे मन में
अंकुरित हुआ एक ख्वाब
चाँद की रोशनी में नहाकर
ढलती रात के संग संग
वह जवां होने लगा |
ठंडी हवाओं ने उसे बहकाया
लेकिन वो बहका नही |
जब चाँद बादलों में छुपा
तो अंधेरों ने उसे रोका
लेकिन वो रुका नही |
रात के वीराने में
गहरी खामोशियों ने उसे डराया
लेकिन वो डरा नही |
                           रात के तीसरे पहर                          
कुछ आवाजों ने उसे बुलाया
लेकिन उसने सुना नही
अपने लक्ष्य को देखता
वह बस चलता रहा |
अंततः सुबह जाग गयी
रात कहीं उजालों में खो गयी
खामोशियाँ आवाज लेने लगीं
हवाएं शीतल हो गयी
आखिरकार नर्म किरणों ने उसे छुआ
और वह ख्वाब बड़ा हो गया |