जब सुबह अधखिली धूप में आपकी याद आये !!!

जब सुबह  अधखिली धूप में आपकी याद आये 
तुम्हारी ये खिलती मुस्कान मेरे मन को हंसा जाये ।
 जब दोपहर की बढती तमाजत में मेरा दिल न लगे
हवा का गर्म झोका मेरे तन को तेरा अहसास दिला जाये ।
जब शाम की चुभती ख़ामोशी मुझे तडपाने लगे          
चुपके  से आपकी आवाज आये और बदन को गुदगुदा जाये ।
जब अकेले तनहा  चांदनी रातों में मुझे नींद न आये
काश कोई मेरे सपनो में आकर मुझे आहिस्ते   से सुला जाये ।


तेरे गलियारे में घूमता रहता हूँ !!!

मुझे पहचान लो , हवा का झोंका हूँ ,
तेरे गलियारे  में घूमता रहता  हूँ ।
तेरे खनकती पाजेब की धुन पर
बिन संगीत बहकता  रहता हूँ । 
कभी तेरी साँसों में छुपकर तो कभी
तेरे आँचल से महकता रहता हूँ ।
तेरी नीली नीली झील सी आँखों में
 तैरता ,तो कभी मचलता रहता हूँ ।
मुझे पहचान लो , हवा का झोंका हूँ ,
तेरे गलियारे  में घूमता रहता  हूँ ।





















तेरे आँचल का साया था !!!

यह बादलों की बदरी थी या फिर तेरे आँचल का साया था
आसमान में सूरज था और ,मेरे मन में अँधेरा छाया था ।
बादल गरजा ,बिजली चमकी ,फिर आवाज तेरी आयी थी
तोड़ कर सारे रिश्ते -नाते  मै , सीधा तेरे दर को आया था ।
आँगन में जुल्फें बिखराए बैठी थी तुम,इन्तजार में मेरे शायद
तभी अचानक आई थी बारिश ,हम  दोनों को नहलाया था।
भूल कर सारे रिश्ते -नाते ,फिर घर से निकल पड़े थे  दोनों
हर कठिनाई में तुमने मुझको ,मैंने तेरा दामन अपनाया था ।
फिर जाने किसका साथ मिला ,छोड़ गयी तुम मुझको पीछे
इस दुनिया की रीति यही है ,मुझे बड़ी देर समझ में आया था ।
by - OP