तेरे आँचल का साया था !!!

यह बादलों की बदरी थी या फिर तेरे आँचल का साया था
आसमान में सूरज था और ,मेरे मन में अँधेरा छाया था ।
बादल गरजा ,बिजली चमकी ,फिर आवाज तेरी आयी थी
तोड़ कर सारे रिश्ते -नाते  मै , सीधा तेरे दर को आया था ।
आँगन में जुल्फें बिखराए बैठी थी तुम,इन्तजार में मेरे शायद
तभी अचानक आई थी बारिश ,हम  दोनों को नहलाया था।
भूल कर सारे रिश्ते -नाते ,फिर घर से निकल पड़े थे  दोनों
हर कठिनाई में तुमने मुझको ,मैंने तेरा दामन अपनाया था ।
फिर जाने किसका साथ मिला ,छोड़ गयी तुम मुझको पीछे
इस दुनिया की रीति यही है ,मुझे बड़ी देर समझ में आया था ।
by - OP
  

मुझे बहुत रुलाओगे तुम !!!

आज दूर ही सही ,कभी मेरे पास आओगे तुम
बहुत करीब से अक्स अपना मुझे दिखाओगे तुम ।
सुबह से शाम तक मेरी आँखों में देखोगे तुम
देखते -देखते इन्ही आँखों में खो जाओगे तुम ।
 कभी रात की ठण्ड जब बहुत सताएगी तुम्हे
नींद में ही सही पर मुझसे  लिपट जाओगे तुम ।
ख्यालों में चलते चलते जब थक जाओगे तुम
मेरी बाहों में खुद को सुलाकर सुस्ताओगे  तुम ।
फिर जिन्दगी के किसी मोड़ पर बिछड़ जाओगे तुम
तड़पोगे मेरी याद में ,मुझे बहुत रुलाओगे तुम ।




मुह़ब्बत दिन पर दिन बढ़ती जाएगी !!!

तुम्हे अपनी खूबसूरती पर घमंड है ,
मुझे अपनी मुह़ब्बत पर नाज  है ।
तुम्हारी खूबसूरती दिन पर दिन ढलती जाएगी ,
पर मेरी मुह़ब्बत दिन पर दिन बढ़ती जाएगी ।