हर हुस्न में तुम्हे ही निखरते देखा है !!!

जब से तुम्हे अपने बाग में टहलते देखा है ।
हर फूल  में बस तुम्हे ही महकते देखा है ।
बातों-बातों में ऐसा क्या कह गयी तुम
हर लब्ज में बस तुम्हे ही संवरते देखा है ।
जिसको भी देखा सब बदले -बदले से लगे
हर दिल में बस तुम्हे ही धड़कते देखा है ।
 सूरज हो ,चाँद हो ,या जलता कोई दिया
हर उजाले में बस तुम्हे ही चमकते देखा है ।
किस-किस की तारीफ़ करूं,सब हसीं है,क्योकि
हर हुस्न में बस तुम्हे ही निखरते देखा है ।














जिन्दगी बहुत खूबसूरत है !!!

 सूनी  बंजर राहों पर चलता
 कभी मंजिल ढूंढ़ता ,
तो कभी रहने को  ठिकाना ,
 गमो के घने बदलो के बीच
ख़ुशी की एक रौशनी ढूंढ़ता
हतास ,जिन्दगी से परेशान
बहुत परेशान  था ,मै 
कि एक शाम एक मोड़ आया
और राह ले आई मुझे तुम्हारे पास
तुम्हारी छांव तले राह आसान हो गयी
नज़ारे हसीन  लगने लगे
मन जीवंत हो उठा
तुम्हारी हसीं में मैंने खुद को
मुस्कुराते हुए देखा तो लगा
जिन्दगी बहुत खुबसूरत है ।
हसीन  है ,जीने लायक है ।















आसमां छोड़कर कहाँ जायेंगे !!!

सुबह के निकले ,थक-हार कर वापस यहीं आयेंगे । 
परिंदों  का घर है आसमां, छोड़कर कहाँ  जायेंगे ?
सावन भी है ,शाम भी  है , आने भी दो बारिश को 
इन्तजार में बैठे हैं  मोर, नाचने और कहाँ जायेंगे ?
गुलशन में  फूलों को खिलने दो ,महकने दो
गर फूल ही न रहे, भौरे पेट भरने कहाँ जायेंगे ?
सुन भी लो, कह भी दो ये रात का आखिरी पहर  है
सुबह किसे पता तुम किधर ,हम कहाँ जायेंगे ?