गुलाब सा खिल जाना !!!

सुबह-सुबह आँखों में नींद लिए
 तुम्हारा बालकनी में निकल आना
दोनों हाथो से बालों को सुलझाना ।
सूरज की हलकी धूप  पड़ते ही
तुम्हारे चेहरे का गुलाब सा खिल जाना  ।
हवाओ के ठन्डे झोकों से
तुम्हारे बदन का अचानक कांप जाना
मुझसे थोड़ी दूर बैठकर तुम्हारा मुझे देखना
फिर अचानक उठकर  बेपरवाह चले जाना
दरवाजे पर पहुचते ही मुड़कर मुझे देख लेना
 आँखों से न जाने क्या कहकर
आहिस्ते से तुम्हारा मुस्करा देना
तभी गर्दन के संग जुल्फों को झटक कर
बिना सोचे तुम्हारा यू  गुजर जाना
कभी छोटी-छोटी बातो पर तुम्हारा  गुस्साना
तुम्हारी गहरी आँखों का आंसुओ से भर जाना
 नम आँखों को छुपाने की कोशिश में
मासूम से चेहरे को नन्ही हखेलियों से ढक  लेना
थोड़ी देर बाद मेरे पास आना
मेरे कंधे पर सिर रखकर सो जाना
 आज तुम नही हो मेरे साथ
 तो हर वो  पल याद आते हैं ।


कभी चांदनी तो कभी अँधेरी ये रात !!!

सूरज की आखिरी किरण
आसमाँ का कहीं  लाल ,कहीं  गुलाबी
कहीं नीले ,तो कहीं पीले रंग की चादर ओढ़ लेना
अन्दर तक ठण्ड का एहसास  जगाती
शीतल हवा का मस्ती में आवारा भटकना ।
बता रहे है इस जागते जहाँ को
कि  शाम बस चंद  पलों  की मेह्मान  है ।
इसी शाम की शीतल छांव  में
परिंदे ,इंसान ,जानवर सब थके हारे
लौट पड़े है घर की  तरफ ।
और देखते ही देखते कुछ ही पलों में
चाँद आसमां  को ही नदी बना
हौले -हौले तैरने लगता है ।
और छा  जाता है अँधेरा हर तरफ
घुल जाती है इन अंधेरों में खामोशियाँ
तो कभी खामोशियों में बाधा डालती
हवाओं की सरसराहट ।
ये चाँद, ये हवाये ,ये खामोशियाँ
बता रही हैं की रात आ गयी
और सुला गयी इस जागते जहाँ को
साथ में कितने सपने ,कितने बातें
कितने वादे , कितनी तकरारे
कितने दर्द ,कितनी पीड़ा
सब को सुला देती है ये रात 
आजाद कर देती है हमें
इनकी जकड़न से ।
और जगा  जाती  है
मन में कुछ मीठे - प्यारे सपने
अनमोल यादों के सुनहरे पल
कोई प्यारा देखा -अनदेखा  चेहरा 
और साथ में दे जाती है
एहसास एक ऐसी जिन्दगी  का
जो हम हमेशा से जीना चाहते हैं ।
कितनी प्यारी, कितनी सुन्दर 
कितनी अपनी होती है न, ये रात
कभी  चांदनी तो कभी अँधेरी ये रात ।




तुमसे मेरा कोई रिश्ता नहीं !!!

वो कहते रहे तुमसे  मेरा कोई रिश्ता नहीं
फिर वो कौन सा बंधन था 
जब भी उनको देखा मै आँखें अपनी फेर न सका 
और वो मुझे नजरअंदाज कर न सके ।
कि आज उनके जाते वक्त  मै  मुस्कुरा न सका 
और वो आंसुओ को बहने से  रोक न सके ।