और कितना जागोगे ?


किसी की याद में और कितना जागोगे 
अब सो भी जाओ  यारों बड़ी रात हुई ।
सुबह   उठकर  बताना न  भूलना 
सपने  में किस-किस से क्या बात हुई  ।
 शायद  मुझे सुनने को मिल जाये ।
यार आज तो  जिन्दगी से मुलाकात  हुई ।

साथ निभाने की कसमें थी !!!

यार, मेरे सपने न जाने कहाँ खो गए हैं  अगर आप  को कहीं मिले तो मुझे बता देना ।
उनमे कुछ  अधूरे अफ़साने  थे ।
कुछ किये  हुए  वादे  थे   ।
एक प्यारा सा चेहरा था  ।
साथ निभाने  की कसमें थी  ।
ये सपने मैंने किसी और से मांगे थे, अब उससे क्या कहूँगा ?




  

सुबह - सुबह सूरज की धूप में !!!

सुबह-सुबह सूरज की धूप में
रंग  बिरंगे फूलों  से सजे  बागों में 
कभी  फूलों  को देखती
तो कभी कलियों  को हथेलियों  से सहलाती
कभी  तितलियों के  पीछे  भागती
तो कभी सूने आकाश  को  निहारती
वह  अचानक मुझे देख लेती है
और मै ,बस मुस्कुरा के रह जाता  हूँ ।
दोपहर  की तपती  धूप  में
पर्वत  से बहते झरनों में
निर्मल कल-कल  करते पानी में
अपने तपते बदन को शीतल  करती
कभी डूबती तो कभी उतराती
ठंडे पानी की बूंदों से खेलती
वह अचानक  मुझे देख लेती है
और मै ,बस मुस्कुरा के रह जाता  हूँ ।
शाम की  ठंडी छांव में
सहेलियों  से अठखेलियाँ  करती
कभी नाचती तो कभी गाती
कभी हवाओ से बातें  करती
हाथों में हाथ  ले संग  झूले  झूलती 
वह अचानक  मुझे देख लेती है
और मै ,बस मुस्कुरा के रह जाता  हूँ ।
रात चांदनी की कोमल आभा में
दिल की तरह खुले आँगन  में
माँ के संग बैठकर  बतियाती 
छत पर आँख खोले बिछोने पर लेटी
मन में प्रियवर के सपने  संजोती
वह अचानक मुझे देख लेती है
और मै ,बस मुस्कुरा के रह जाता  हूँ ।