सूनी बंजर राहों पर चलता
कभी मंजिल ढूंढ़ता ,
तो कभी रहने को ठिकाना ,
गमो के घने बदलो के बीच
ख़ुशी की एक रौशनी ढूंढ़ता
हतास ,जिन्दगी से परेशान
बहुत परेशान था ,मै
कि एक शाम एक मोड़ आया
और राह ले आई मुझे तुम्हारे पास
तुम्हारी छांव तले राह आसान हो गयी
नज़ारे हसीन लगने लगे
मन जीवंत हो उठा
तुम्हारी हसीं में मैंने खुद को
मुस्कुराते हुए देखा तो लगा
जिन्दगी बहुत खुबसूरत है ।
हसीन है ,जीने लायक है ।
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